चतुःश्लोकी भागवत (अर्थ सहित)
यदि मनुष्य नित्य नियमित चतुःश्लोकी भागवत का पाठ करता है तो उसके सभी मानसिक संताप तत्क्षण दूर हो जाते हैं। कहा गया है कि -
यः पठेत् प्रयतो नित्यम् श्लोकं भागवतं सुत।
अष्टादश पुराणानाम् फल माप्नोति मानवः।।
जो मनुष्य प्रतिदिन पवित्र चित्त होकर भागवत के एक श्लोक का पाठ करता है वह मनुष्य अठारह पुराणों के पाठ का फल पा लेता है।
अजन्मा भगवान् ने अनुभव, प्रेमाभक्ति और साधनों से युक्त अपने अतिगोपनीय स्वरूप के ज्ञान को लोक पितामह ब्रह्मा जी के संशय दूर करते हुए मुख्यतया चार श्लोकों में उपदेश दिया।