जागेश्वर धाम

जागेश्वर धाम

आस्था एवं विश्वास की धरोहर बाबा भोलेनाथ का धाम जागेश्वर प्राकृतिक सौंदर्य से अतुलनीय पवित्र स्थान है यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से 35 किलोमीटर दूर स्थित है लिंग पुराण के अनुसार जागेश्वर भगवान विष्णु द्वारा स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है इसे श्री शिव महापुराण में नागेश्वर दारूका बने के नाम से बोला गया है. मुख्यतः वर्ष भर यहां दर्शन किए जा सकते हैं परंतु दर्शन एवं यज्ञ अनुष्ठान हेतु श्रावण मास अति पवित्र माह है. यहां मंदिर प्रांगण से लगी दुकानों से पूजा सामग्री एवं अन्य धार्मिक प्रतीक खरीदे जा सकते हैं।

जागेश्वर धाम में लगभग  224 छोटे बड़े मंदिर स्थापित है जागेश्वर को पुराणों में हाटकेश्वर नाम से जाना जाता है.

इन मंदिरों का निर्माण गुप्त साम्राज्य में कुमाऊं क्षेत्र के कत्यूरी राजवंश के काल में हुआ था आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा महामृत्युंजय में शिवलिंग की स्थापना की थी और अमंगलकारी कामनाओं की रोकथाम हेतु इसे कीलित भी किया था।

भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन हेतु एवं अपनी मनोकामना हेतु bhakt देश-विदेश से दर्शन करने आते हैं. यहां यज्ञ और अनुष्ठान से श्रद्धालुओं की मंगलकारी कामनाएं पूर्ण हो जाती है। यह प्राचीन स्थल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत संरक्षित राष्ट्रीय धरोहर है । इस मंदिर समूह में दाडेश्वर मंदिर, केदारनाथ मंदिर, पुष्टिमता मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नवग्रह मंदिर, नंदा देवी मंदिर और सूर्य मंदिर शामिल है।

यहां कैसे आए यहां परिवहन के  तीन साधनों से आया जा सकता है:-

हवाई अड्डों पंतनगर और देहरादून स्थित जौलीग्रांट निकटस्थ है।

 रेल मार्ग के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन का सहारा लिया जा सकता है

और सड़क मार्ग द्वारा अल्मोड़ा शहर होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है