श्रीसूक्तम्

श्रीसूक्तम्

ऋग्वेद के दूसरे अध्याय के छठे सूक्त से अनुष्टुप छंद  में माता लक्ष्मी की अद्भुत स्तुति।

 

हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह

 

घर में धन वैभव की वृद्धि के लिए, आजीवन धनवान बनने के लिए माता लक्ष्मी को समर्पित इस सूक्त का नित्य प्रतिदिन शुद्ध आसन में बैठकर पाठ करना चाहिए। इस पाठ के उच्चारण के लिए महत्वपूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए।

यह स्तोत्र मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न कर देता है।