विश्व परिदृश्य में जीवन जीने की परिमार्जित एवं परिशुद्ध पद्धति, विधान, कर्म सिद्धांत का आधार पूर्णतः सनातन धर्म के अभिन्न अंग है। अनुशासित जीवनशैली को…
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देवीमयी..तव च का किल न स्तुतिरम्बिके !
देवीमयी..तव च का किल न स्तुतिरम्बिके ! तव च का किल न स्तुतिरम्बिके ! सकलशब्दमयी किल ते तनु: । निखिलमूर्तिषु मे भवदन्वयो मनसिजासु…
View More देवीमयी..तव च का किल न स्तुतिरम्बिके !ध्यान और उसकी महिमा, योग धर्म तथा शिव योगी का महत्व
ध्यान और उसकी महिमा, योग धर्म तथा शिव योगी का महत्व, शिव भक्ति या शिव के लिए प्राण देने अथवा शिव क्षेत्र में मरण से…
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।। शिवाष्टकम् ।। प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् । भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 1 ॥ गले रुण्डमालं तनौ…
View More शिवाष्टकम्जल का जीवन में महत्व: वेदों में जल
जल जीवन का पालना है। प्राणवायु ऑक्सीजन जीव की विविध क्रियाओं को क्रियाशील बनाते हुए उसे जीवन प्रदान करती है। जीवन की इन विविध क्रियाओं…
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उपमन्यु कहते हैं श्री कृष्ण! आलस्य, तीक्ष्ण व्याधियां, प्रमाद, स्थान-संशय, अनवस्थितचित्तता, अश्रद्धा, भ्रान्ति-दर्शन, दु:ख, दौर्मनस्य और विषय-लोलुपता-ये दस योग साधन में लगे हुए पुरुषों के…
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पंचाङ्ग दैनिक व्यवहार तथा धार्मिक कार्यों हेतु उपयोगी होने के साथ-साथ प्रांत विशेष के देशाचार व लोकाचार के प्रतीक रूप में रहने की आवश्यकता की…
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भगवान श्रीकृष्ण और उपमन्यु जी के मध्य संपन्न वार्ता के उपरांत उपमन्यु जी ने भगवान श्री कृष्ण को योग के विभिन्न भेद, अधिकार, अंग, विधि…
View More योग के विभिन्न भेदगोविन्दाष्टकम।।सदा तं गोविन्दम परमसुखकंदम भजत रे….
चिदानंदाकारं श्रुतिसरससारं समरसं ……….. सदा तं गोविन्दम परमसुखकंदम भजत रे…. हे ! मनुष्य उस परमानन्दकन्द गोविन्द का सदैव भजन कर।
View More गोविन्दाष्टकम।।सदा तं गोविन्दम परमसुखकंदम भजत रे….परमेश्वरस्तोत्रम
परमेश्वर प्रभु से की गई प्रार्थना, जो जीवन के समस्त पापों से उद्धार कर देती है. इस स्तोत्रम का नित्य प्रतिदिन पाठ करना चाहिए। ।।जनतारण…
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