प्रातःस्मरणीय श्लोक

श्री गणेश प्रातः स्मरण स्तोत्र प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं  सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् । उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड–  माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् । । अर्थ- अनाथों के बन्धु, सिन्दूर से शोभायमान दोनों गण्डस्थल वाले, प्रबल…

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