महाशिवरात्रि व्रत विधि एवं महिमा

महाशिवरात्रि उपवास श्रेष्ठ उपवास की श्रेणी में रखा जाता है हर मनुष्य को चाहिए की इस अवसर पर जरूर रात्रि भार जागरण कर भगवान् शिव जी की कथा श्रवण, उनके महा चरित्र का स्मरण और उन्हें याद करते हुए भजन भी करने चाहिए।

महादेव की पूजा के लिए शिवालय में जाकर कम से कम जलाभिषेक तो करना ही चाहिए। इस पवित्र दिन में रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजन आदि पूजन माध्यम से षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए।

भगवान शिव को बिल्व पत्र, सफेद फूल, सफेद चावल, धतूरा, अभ्रक, घी, चीनी, शहद, दूर दूध दही पंचगव्य आदि का अर्पण करना चाहिए। भगवान भोलेनाथ सहज रूप से हर किसी के मन मस्तिष्क को प्रसन्न करने के लिए वरदान तुरंत दे देते हैं।

जिन जनों को चंद्रमा की दशा सताती है और मन की चंचलता अधिक रहती है अपने कार्य करने में मन नहीं लगता है उन जनों को निश्चित रूप से भगवान शिव जी की उपासना, पूजा करनी चाहिए और संभव हो तो मुख्य दिवसों पर उपवास रखकर भगवान शंकर को याद करते हुए ओम नमः शिवाय का उच्चारण यथासंभव करना चाहिए। ओम नमः शिवाय का पंचाक्षर मंत्र सभी बाधाओं को दूर कर देता है।

जीवन में अत्यधिक कठिनाई आने पर, आत्म संकट होने पर, नकारात्मक ऊर्जा के संपर्क में आने पर, और अन्य प्रकार की भीषण बीमारियों के ग्रसित हो जाने पर भगवान भोलेनाथ के महामृत्युंजय मंत्र का यथासंभव उच्चारण सभी बाधाओं से मनुष्य को क्षण भर में दूर कर देता है।

महामृत्युंजय मंत्र अनेक प्रकार की व्याधियों और अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण मंत्र है इसका शुद्ध उच्चारण मनुष्य के सभी कष्टों को हर लेता है।

।। नमः पार्वती पतये हर हर महादेव ।।

भगवान भोलेनाथ हर किसी की मनोकामना पूर्ण करें।

ओम नमः शिवाय

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