गीता जयंती का महात्म्य

गीता जयन्ती पर विशेष —
गीता जयंती मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है |इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। आज की जयंती ,गीता जयंती की 5157 वीं वर्षगांठ होगी। आज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। मोक्षदा एकादशी को ही गीता जयंती मनाई जाती है। गीता महाभारत ग्रंथ का एक भाग है जिसमें कुल 18 अध्याय हैं जिसमें पहलेे 6 अध्याय में भगवान ने कर्मयोग का संदेश दिया, उसके बाद अगले 6 अध्याय में ज्ञान योग एवं अंतिम 6 अध्याय में भक्ति योग के उपदेश दिए|
इन सभी अध्यायों में क्रमश: भगवान ने इस प्रकार उपदेश दिए
अध्याय – 1- अर्जुन विषाद योग– कुरुक्षेत्र युद्ध स्थल में सैन्य निरीक्षण
अध्याय 2 – सांख्य योग -गीता का सार
अध्याय 3- कर्म योग
अध्याय 4 -ज्ञान कर्म सन्यास योग- दिव्य ज्ञान
अध्याय 5 -कर्म सन्यास योग- कर्मयोग- कृष्ण भावना भावित कर्म
अध्याय 6 -आत्म संयम योग- ध्यान योग
अध्याय 7- ज्ञान विज्ञान योग- भगवत ज्ञान
अध्याय 8- अक्षर ब्रह्म योग- भगवत प्राप्ति
अध्याय 9- राज विद्या राज गुह्य योग- परम गुह्य ज्ञान
अध्याय 10- विभूति योग- भगवान का ऐश्वर्य
अध्याय 11- विश्वरूप दर्शन योग- विराट रूप दर्शन
अध्याय 12 –भक्ति योग
अध्याय 13– क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग- प्रकृति पुरुष तथा चेतना
अध्याय 14 -गुणत्रय विभाग योग- प्रकृति के 3 गुण
अध्याय 15- पुरुषोत्तम योग
अध्याय 16- देवासुर संपद्धि भागयोग- दैवी तथा आसुरी स्वभाव
अध्याय 17- श्रद्धा श्रम विभाग योग– श्रद्धा के विभाग
अध्याय 18– मोक्ष सन्यास योग- उपसंहार- सन्यास की सिद्धि
आज ही के दिन 5157 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने इसी समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। जिससे अर्जुन के ज्ञान चक्षु खुल गए थे। पुराणों के अनुसार गीता की उत्पत्ति कलयुग आरंभ होने के 30 वर्ष पूर्व हुई थी। गीता जयंती हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ भगवत गीता का जन्मदिन है| गीता में भगवान ने कहा जब धर्म की हानि और अधर्म का बोलबाला हो जाएगा तब मैं अपने को प्रकट करता हूं तथा धर्म की रक्षा करता हूँ| सज्जनों का कल्याण एवं दुष्टों का विनाश करता हूं।
मोक्षदा एकादशी के व्रत का बड़ा महत्व है इस दिन भगवान श्री कृष्ण की आराधना और पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं |आज के दिन गीता पाठ करने एवं मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं|
—— जगदीश जोशी