राधे चरनन में शीश नवाऊँ, जीवन धन्य अपना कर जाऊँ

राधे चरनन में शीश नवाऊँ, जीवन धन्य अपना कर जाऊँ

शेष-अशेष के बंधनों को, प्रतिपल तप से विलगा जाऊँ।
राग द्वेष की उलझनों को, प्रीत लगाकर सम कर जाऊँ॥
राधे चरनन में.........

धैर्य प्रबल हो, क्षमा सरल हो, दृढ़ संकल्पों में बुद्धि सबल हो।
चिंतन-मनन में तेरी छवि हो, चरण शरण हो, जीवन सुलझाऊँ॥
राधे चरनन में.........

छल-प्रपंच के कठिन समय में, संकल्प विकल्पों का मोह भंग हो।
नित नूतन पल्लवित ध्यान से, चरण रज प्रतिक्षण शीश लगाऊँ॥
राधे चरनन में.........

प्रारब्ध के प्रतिफल का यह जीवन, भोगते-भोगते चरण में ध्याऊँ।
राधे चरनन में शीश नवाऊँ, जीवन धन्य अपना कर जाऊँ॥
राधे चरनन में.........


चरण वन्दन

डॉ हेमन्त केशव दत्त जोशी