मेरे प्रभु श्री राम, मेरे प्रभु घनश्याम

मेरे प्रभु श्री राम, मेरे प्रभु घनश्याम।

विपदा हरो हे राम, विपदा हरो घनश्याम

मन में है छवि तुम्हारी, जीवन है बलिहारी।
चरण कमल है हृदय में, चरण रज है मनोहारी॥
मेरे प्रभु श्री राम, मेरे प्रभु घनश्याम
माया के इस भ्रम में बुद्धि है भरमाई।
प्रचंड इच्छा के बल ने नैय्या है डुबाई॥
विपदा हरो हे राम, विपदा हरो घनश्याम

मेरे प्रभु श्री राम, मेरे प्रभु घनश्याम

विपदा हरो हे राम, विपदा हरो घनश्याम
धड़कन की गति तुम्हारी, सांसें भी हैं तुम्हारी।
नेत्र हैं सजल, पलकें अकुलाई ॥

मेरे प्रभु श्री राम, मेरे प्रभु घनश्याम

विपदा हरो हे राम, विपदा हरो घनश्याम
अहंकार की घोर घटाएं, जीवन में है छाई।
दंभ मोह की जड़ जंजाल का बंधन है अधिकाई॥

मेरे प्रभु श्री राम, मेरे प्रभु घनश्याम

विपदा हरो हे राम, विपदा हरो घनश्याम

डॉ हेमन्त केशवदत्त जोशी

मेरे प्रभु श्री राम मेरे प्रभु घनश्याम॥ शंकर दत्त पन्त जी, द्वारा गाया गया सुन्दर भजन