गजेंद्र स्तुति II गजेंद्र मोक्ष स्तुति

भगवान श्री हरी को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ स्त्रोत. गजेंद्र स्तवन से ऋण मुक्ति, शत्रु से छुटकारा और दुर्भाग्य का नाश होता है। एक दिन गजराज अपने परिवार के साथ अठखेलियां खेलते हुए जीवन के आनंद को पूर्ण रूप से लेते हुए नदी में स्नान कर रहा था। तभी उसके नदी में प्रवेश करने के उपरांत नदी में उपस्थित ग्राह द्वारा गजराज के पैर को दबोच लिया जाता है, गजराज अपने को छुड़ाने के लिए भरपूर प्रयास करता है। लेकिन सभी प्रयासों में असफल हो गया। दर्द और पीड़ा की अवस्था में गजराज भगवान की स्तुति करते हैं। इस पवित्र स्तुति में किसी भी देवता के नाम का स्मरण नहीं किया गया है। लेकिन भक्तवत्सल भगवान श्री हरि भक्ति के वशीभूत हो ग्राह का भी उद्घार कर गजराज को नव जीवन प्रदान करते है।

विद्वान इस विषय की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि सर्वप्रथम भगवान श्री हरि ने ग्राह का उद्धार किया था ना कि गजराज का, ऐसा क्यूं? ऐसा इसलिए किया था क्योंकि ग्राह ने शरणागत वत्सल भगवान् के भक्त का पैर पकड़ा था। और भगवान् भक्त के अधीन रहते है। इसीलिए भगवान ने भक्त के पैर पकड़ने वाले का सर्वप्रथम उद्धार किया।

इस मंत्र के मनोभाव और मनोयोग से पाठ करने से भगवान हरि शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

ओम नमो भगवते वासुदेवाय।

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